लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज# डर
मैं शादी करके इस घर मतलब ससुराल में आई थी ।नया नया माहौल था।एक लड़की को भगवान ने शायद बनाया ही इसलिए है कि वो एक जगह से सम्पूर्ण उखड़ कर दूसरी जगह पर लगा दि जाती है ।अगर जड़ें ज़मीन पकड़ ले तो ठीक वर्ना वो एक निर्जीव पौधे की तरह वहीं खड़ी खड़ी सूखती रहती है।
शायद मेरे साथ भी ऐसा होने वाला था अगर मैं अपनी वाचाल होने की आदत से मजबूर ना होती तो।
मुझे चुपचाप बैठे रहने की आदत ही नहीं थी।अगर मेरे आगे कोई दूसरा भी चुपचाप बैठ जाता था तो मुझे परेशानी होने लगती थी।मेरे ससुराल का माहौल कुछ ऐसा ही था सास ननद आपस में तो बोल लेती थी पर जैसे ही मेरे पैरों में पड़ी पाजेब खनकती तो वे यकायक चुप हो जाती।
एक दिन ऐसे ही मुझ से रहा नहीं गया।मेरी सास और ननद दोनों बाहर आंगन में बैठी थी लाइट गयी हुई थी।वो आपस में बातें कर रही थी तभी ननद ने सास से कहा,"भाभी अंदर बैठी है ।अकेली उनका कैसे मन लगता होगा?"
"हां दीदी आप सही कह रहीं हैं । मैं तो चुप रह रह कर बोर हो गयी हूं।" मैंने तपाक से बाहर आकर बोला तो वे एकदम से जोर से हंस पड़ी।तभी मेरी ननद बोली,"भाभी हम तो ये समझ रहे थे कि क्या पता शहर की लड़की है हम ज्यादा बातें करतें हैं तुम्हें पसंद हो के नहीं।"
"हाय राम! दीदी मैं तो चुप रह रह कर तंग आ गई।हम तो जब ऐसे लाइट चली जाती थी तो भूतों की कहानियां सुनाते थे एक दूसरे को।"
मेरी सास को भी लगा कि बहू तो हमारे जैसी ही है बातूनी तभी बोली,"अच्छा... मेरी बहू को भूतों की कहानियां भाती है ? चल बेटा आज तुझे ऐसी कहानी सुनाती हूं कि तेरे रोंगटे खड़े हो जायेंगे।"
मेरी सास ने कहानी सुनानी शुरू की
" मैं हमेशा सुबह चार बजे उठ जाया करती थी। क्यों कि हमने बंधानी (मतलब दूध वाली डेरी से दूध लाना) का दूध बांध रखा था । दूधवाला सुबह चार बजे भैंसों का दूध निकालता था अगर टाइम पर ना पहुंचो तो दूध में पानी मिला देता था।
इसलिए हम गली की चार पांच औरतें मिलकर दूध लेने जाती थी ।एक दिन ऐसा हुआ कि हम पांच जनों में से तीन औरतें अपने मायके गई हुई थी।हम दोनों सहेलियां दूध की डोलची उठा कर चल दी।चार पांच औरतें हो तो इतनी सुबह सुबह डर नहीं लगता दूध लाने में ।पर उस दिन हम दो ही थी । सर्दी की सुबह ही सात बजे होती है ।उस समय तो चार ही बजे थे ऐसे लग रहा था जैसे हम रात में ही दूध लेने जा रहे हैं ।डेरी घर से दूर बाजार में पड़ती थी।हम दोनोंऔ सहेलियां घर से निकल तो गये पर मन डर के मारे कांप रहा था। चलती जाएं और राम राम जपती जाएं।जैसे ही दूध लेकर वापस हम घर की ओर जा रही थी तभी छनछन पायलों की आवाज पीछे से आने लगी । मैंने अपनी सहेली से पूछा ,"क्या तूने पैरों में पायल पहन रखी है?"
वो बोली,"नहीं तो।"
फिर ये पायलों की आवाज कहां से आ रही है?
हम दोनों ने एक दूसरे के मुंह की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में एक दूसरे को समझाया कि भाग लो नहीं तो ओपरी छाया की चपेट में आ जाएं गे।
जैसे ही हमने तेज तेज चलना शुरू किया वो पायलों की आवाज भी तेज तेज होने लगी ।
मैंने जरा सा पीछे मुड़ कर देखा तो क्या देखती हूं एक लाल कपड़ों में पूरा श्रृंगार किए एक औरत हमारे पीछे पीछे चल रही थी।अब तो हम दोनों ने दौड़ लगा दी।तभी मैं क्या देखती हूं वो औरत हवा में उड़ने लगी और जिस तेजी से हम दौड़ रहे थे हमारे साथ साथ दौड़ रही थी।
इतने में घर आ गया और हम दोनों दौड़ कर मेरी सहेली के घर घुस गये और सिटकनी लगा ली ।
जब दरवाजे पर कान लगाए तो सुना वो औरत कह रही थी,"सालियों ने पीछे मुड़कर ही नहीं देखा अगर देख लेती तो शिकार हो जाती मेरा।"
सच कहूं बहू मैं साल भर तक उस रास्ते पर नहीं जा सकी।"
हो मेरे राम सासू मां से ऐसी कहानी सुनने के बाद मेरी बीस साल की शादीशुदा जिंदगी में मेरा अब तक साहस नहीं बना कि मैं सर्दियों की सुबह इतनी जल्दी बाहर निकल जाऊं। हाहाहाहाहा।
प्रत्यंगा माहेश्वरी
03-Feb-2023 04:29 AM
Nice post
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Rajeev kumar jha
31-Jan-2023 12:27 PM
शानदार
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fiza Tanvi
30-Jan-2023 03:08 PM
👌👏👍🏼
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